न तलवार न अग्निशिखा - एक पत्र

पश्चिम जगत में बहुत फ़ैली धारणा कि इस्लाम का प्रसार सिर्फ हिंसा के माध्यम से हुआ है, ओमान की उदाहरण से यह धारणा धराशायी हो जाती है ।

ईस्वी संवत 629 में पैगंबर मोहम्मद जी ने अपने एक अमर बिन अल-आस नाम के दूत के हाथ एक पत्र राजा जुलान्दा बिन मुस्तकबर की राजगद्दी पर बैठे उसके अब्द और जयफर नामक पुत्रों को भेजा। यह पत्र उन पत्रों जैसा ही है जैसे कि पैगंबर मोहम्मद जी ने Byzantium, फारस, इथियोपिया, मिस्र और यमन देशों के शासकों को भेजे थे । इस पत्र में उसने राज्य प्रतिनिधियों को आह्वान किया कि वे उसे भगवान के पैगम्बर के रूप में उसे स्वीकार करें और इस्लाम को स्वीकार करें।

पहिले से ही इस्लाम कबूल कर चुके इस दूत से, कबीले के बजुर्गों से और कानूनी सलाहकारों से वार्तालाप व विचार विमर्श के बाद दोनों राजकुमारों अब्द और जयफर ने पैगम्बर मोहम्मद का प्रस्ताव मान लिया और उसके आंदोलन में सम्मिलित हो गए। बताया जाता है कि इसके बारे में सुन कर पैगम्बर मोहम्मद ने कहा कि : “भगवान घुबैयरा की जनता को आशीर्वाद दे। वहाँ की जनता ने मुझे बिना देखे ही मुझ में अपना विश्वास व्यक्त किया है”। (घुबैयरा, ओमान का एक पुराना नाम है, जिसे कि सेन्सीबार में अभी भी प्रयोग किया जाता है ।